Thursday, January 21, 2010

Deemed to University

डीम्ड  यूनिवर्सिटी का प्राविधान यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यू.जी.सी)अधिनियम १९५६ के अंतर्गत बेहतरीन काम करने वाले कोल्लेजेस को डीम्ड यूनिवेर्सिटी का दर्जा देने का प्राविधान है. जिन्हें ये सोयात्ता  मिली है . उन्हें पेपर करना,परीक्षा करना तथा डिग्री देने का अधिकार है.सोयेत्ता देने के लिए यू.जी.सी. की टीम का गठन किया जाता है .जब कॉलेज सरे मानक पूरे कर लेता है तब डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलता है. और किसी भी यूनिवर्सिटी से सम्बधता की आवोश्यकता नहीं होती है.कुछ समय के बाद केंद्र सर्कार ने यूनिवर्सिटी और डीम्ड यूनिवर्सिटी में भ्रम पैदा होने से इन्हें डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी लिखने को कहा गया .देश के ४४ संस्थानों की मान्यता समाप्त कर दी गयी जिसमे १६ डीम्ड यूनिवर्सिटी तमिलनाडु से और बाकि १२ प्रदेशो से है.हर साल अ.इ.सी.टी.और यू.जी.सी. से संबध कराया जाता है इसकी कार्यप्रणाली अत्यंत जटिल है.इसे ठीक करने की बजाय इसे एक लाइन का आदेश पारित कर समाप्त करना चाहती है.इतने चैनल्स पार करने के बाद संस्था की  शिक्षा एक दम से घटिया क्यों हो गयी?संस्थाओ के निजीकरण से वेओसयेकरण होने के कारन टीचर्स का शोषण बढ़ा है .साथ ही सिक्षा का इसतर गिरा है.मान्यता देने से पूर्व छानबीन करना चाहिए प्रतिबन्ध लगाना समस्या का हल नहीं है.जो संस्थाए धन उगाही कर रही है ,शोषण कर रही है एवं छात्रों के साथ खिलवार कर रही है उनके विरुद्ध ज़रूर कार्यवाही होनी चाहिए . अगर सर्कार का रविया ऐसा ही रहा है तो छात्र हमेशा दिग्भ्रमित रहेगा और सभी का डीम्ड यूनिवर्सिटी से भरोसा उठ जायेगा . उच्च सिक्षा  के प्रोत्साहन के लिए जो यू.जी.सी.ने डीम्ड का प्राविधान किया है उसे समाप्त कर देना चाहिए .उच्च सिक्षा के फिएल्ड में कोई विकासात्मक कार्य नहीं हो रहा है.जटिल नियम बनाने एवं एक तरफ़ा कार्यवाही से समस्या बढती जायगी .हलाकि सर्कार ने कहा है की ४४ डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा समाप्त कर उनसे संबधित यूनिवर्सिटी से संबध कर दिया जायेगा.(Dilshad Ahmad Ansari)

1 comment:

  1. One of the major problems in the education system is the emergence of a number of private colleges, whose primary aim is to earn money rather than providing quality education. In the last 20 yrs. the no. of students have increased exponentially while the no. of quality government colleges remain the same. Therefore a no. of deserving students have to retort to admission in private colleges as a last resort.

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